Saturday, June 9, 2018

Arati Sangrah आरती संग्रह





    आरति ॐ जय जगदीश हरे हिन्दी 


ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
          ॐ जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का ।। स्वामी .
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
            ॐ जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी ।। स्वामी .
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
              ॐ जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी ।। स्वामी .
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
            ॐ जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता ।। स्वामी .
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
          ॐ जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति ।। स्वामी .
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
           ॐ जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे ।। स्वामी .
  अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥
           ॐ जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा ।। स्वामी.
श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा॥
         ॐ जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे ।। स्वामी
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
             ॐ जय जगदीश हरे।

    नेपाली आरति ॐ जय जगदीशहरे
ॐ जय जगदीशहरे, प्रभु जयजगदीशहरे
प्रभुका चरण उपाशक, कति कति पार तरे । ॐ जय
मनको थाल मनोहर, प्रेमरुप बाती । प्रभु
भाव कपूर छ मंगल, आरती सब भाती । ॐ जय
नित्य निरञ्जन निर्मल, कारण अविनाशी । प्रभु
शरणागत प्रतिपालक, चिन्मय सुखराशी । ॐ जय
सृष्टि, स्थिति लयकर्ता, त्रिभुवनका स्वामी । प्रभु
भक्तिसुधा वरसाउ, शरण पर्यौ हामी । ॐ जय
आसुर भाव निवारक, तारक सुखदाता । प्रभु
गुण अनुरुप तिमीहा,ै हरि हर औ धाता । ॐ जय
युग युग पालन गर्छाै, अगणित रुपधरी ।प्रभु
लीलामय रसविग्रह, करुणामूर्ति हरि । ॐ जय
समताशान्ति प्रदायक, सज्जन हितकारी । प्रभु
चरण, शरण अव पाऔ, प्रभु भवभयहारी । । ॐ जय
भाव सुनिर्मल देउ, साधक फलदाइ । प्रभु
जविन धन्य बनोस् प्रभु, पद सेवा पाइ । ॐ जय
संयम सुरसरिताको, अविरल धार वहोस् । प्रभु
ज्ति जति जन्म भए पनि,प्रभुमा प्रेम रहोस् । ॐ जय
प्रेमसहित शुभआरती, जसले नित्य गरो । प्रभु
दिन दिन निर्मल बन्दै, त्यो भवसिन्धु तर्यो । ॐ जय


श्री पशुपतिनाथ / शिव आरती (नेपाली)
      
           ॐ जय शिव शंकर शम्भु
    जय गिरिजाधिस शिव जय गिरिजाधिस
   (जय जय करुणा सागर) पशुपति जगदीस
         ॐ हर हर हर महादेव-१
       
            गिरी कैलाश निवास छ
    गण छन सहचारी शिव गण छन सहचारी
(      मुंडमाला छ गलामा)रूप छ भयहारी
            
ॐ हर हर हर महादेव-२

          डमरू त्रिशुल सुसोभित
    प्रभुका दुई करमा शिव प्रभुका दुई करमा
     (भुसण नाग विराजीत)बाघाम्बर अंगमा
           ॐ हर हर हर महादेव-३

            तिन नयनमा थरी थरी
    ज्योति छ दिव्य सदा शिव ज्योति छ दिव्य सदा
   (वाहन वृष भवनोहर)संगमा छन गिरिजा
           ॐ हर हर हर महादेव-४

            भस्म विलेपन सुन्दर
     शीरमा चन्द्रकला शिव शीरमा चन्द्रकला
    (कल कल बगछिन हरदम)गंगा पुण्य जला
           ॐ हर हर हर महादेव-५

               ब्रम्हा विष्णु महेश्वर
     प्रभुका रूप सबै शिव प्रभुका रूप सबै
   ( श्रृष्टि स्थिति लय सब हुन)शुभ लिला प्रभु कै
           ॐ हर हर हर महादेव-६

                  वेद पुराण जति छन
       प्रभुको वर्णनमा शिव प्रभुको वर्णनमा
     (कण कण ब्यापक प्रभुको)महिमा त्रिभुवनमा
             ॐ हर हर हर महादेव-७

                 शुर नर मुनि सब प्रभुकै
        निसदिन ध्यान गरी शिव निसदिन ध्यान गरी
        (परमानन्द मगन भई)जान्छन पार तरी
                 ॐ हर हर हर महादेव-८

              सचिदान्नंद परात्पर
      सजन हितकारी शिव सजन हितकारी
     (जय जय शाम्भ सदा शिव)जय जय त्रिपुरारी
              ॐ हर हर हर महादेव-९

                      संग्रह कर्ता-
                 केशव शरण लुईटेल 
                    मिति- २०७५/१२/१० गते 
                               आइतवार 

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